tag:blogger.com,1999:blog-5413715245515841622.post4247800995209265258..comments2023-10-30T04:17:21.918-07:00Comments on Meri Kavita: नहीं आया वसंतBasanthttp://www.blogger.com/profile/15642125241765203051noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-5413715245515841622.post-82638636489649657922012-03-17T08:55:35.348-07:002012-03-17T08:55:35.348-07:00वाह.....बहुत सुंदर कविता.....प्रकृति के सभी रूपों ...वाह.....बहुत सुंदर कविता.....प्रकृति के सभी रूपों को समेटे हुए बसंत की प्रतीक्षा .....कुछ देशज शब्द अच्छे हैं जैसे 'चेपा' जो वसंत ऋतु में सरसों के खेत में आया करता है.....एक कविता याद आ गयी....हवा हूँ हवा मैं.....बसंती हवा मैं........अंजू शर्माhttps://www.blogger.com/profile/13237713802967242414noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5413715245515841622.post-31679268553802611742012-02-09T22:39:46.279-08:002012-02-09T22:39:46.279-08:00Ram Anoop Dwivedi
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आदरणीय भाई स...Ram Anoop Dwivedi<br />===================<br />आदरणीय भाई साहब, प्रणाम स्वीकारें.संयोग से आपकी कविता- नहीं आया वसंत पढ़ी. बहुत कुछ कहने का मन हो आया. एक तो मनुष्य के अपने ही कृत्यों से जलवायु लहूलुहान है. जाडे में वसंत का एहसास, वसंत के मौसम में हाड़ कंपाने वाली ठण्ड का एहसास. मई, जून के महीने में बारिश और जुलाई अगस्त में भीषण सूखा.जलवायु संतुलित थी तो चार महीने बरसात के चौमास कहलाते थे. आज की पीढ़ी से पूछिए, चौमास उसके शब्दकोष में ही नहीं है.कहाँ जा रहे हैं हम. आपने सरसों के फूलों की बात की, सच है कि सरसों की खेती आज भी होती है, लेकिन फूल आते हैं तो फलियाँ नहीं लगतीं या फिर माहू कीड़े उन्हें चट कर जाते हैं. लहलहाती सरसों के फूल जिस ऋतुराज के आगमन का बोध कराते थे वह नदारद है, सरसों के फूल खिलखिलाएं भी तो किसके डीएम पर.और फिर प्रकृति के प्रति हमारा वह अनुराग भी तो नदारद है.शहरीकरण, भौतिकता की आंधी और तथाकथित आधुनिकता के चटख रंगों के बीच बेचारी सरसों के नाजुक फूल खिले हुए दिखें भी तो कब तक टिकेंगे हमारे जहन में.Basanthttps://www.blogger.com/profile/15642125241765203051noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5413715245515841622.post-8946687523057645222012-02-08T23:31:55.071-08:002012-02-08T23:31:55.071-08:00Rati Saxena बसन्त जी, सच में अच्छी लगी, बेहद सरल ,...Rati Saxena बसन्त जी, सच में अच्छी लगी, बेहद सरल , सहल लेकिन प्रकृति के इस परिवर्तन की नकारात्मकता को संकीर्तन की शैली में अभिव्यक्त करती हुई... हर किसी के मन की बात....Basanthttps://www.blogger.com/profile/15642125241765203051noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5413715245515841622.post-86300119041785127992012-02-08T23:30:52.393-08:002012-02-08T23:30:52.393-08:00Ajanta Deo---- क्यों ....आप क्यों नहीं आते सरसों क...Ajanta Deo---- क्यों ....आप क्यों नहीं आते सरसों के खेत में ..क्या आपको अपना नाम याद नहीं ..?:):)....खैर मजाक था ...सच में बहुत उम्दा कविता है ..हालाँकि आज ही मेरी किताब पर एक चेपा आया था ..Basanthttps://www.blogger.com/profile/15642125241765203051noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5413715245515841622.post-67381896844147586882012-02-08T23:30:12.410-08:002012-02-08T23:30:12.410-08:00Ashok Kumar Pandey--- अच्छी कविता सर..Ashok Kumar Pandey--- अच्छी कविता सर..Basanthttps://www.blogger.com/profile/15642125241765203051noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5413715245515841622.post-55719034848807456502012-02-08T23:29:25.927-08:002012-02-08T23:29:25.927-08:00Harish Kumar Karamchandani-- जाडे के फ़ूल मुस्कुरा...Harish Kumar Karamchandani-- जाडे के फ़ूल मुस्कुराते रहे बदस्तूर...वाह!!!Basanthttps://www.blogger.com/profile/15642125241765203051noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5413715245515841622.post-68585487113544200422012-02-08T23:28:28.170-08:002012-02-08T23:28:28.170-08:00Mohan Shrotriya--- नहीं आया वसंत, निकल गया जन्मदिन...Mohan Shrotriya--- नहीं आया वसंत, निकल गया जन्मदिन.Basanthttps://www.blogger.com/profile/15642125241765203051noreply@blogger.com