बेहद व्याकुल था,
तुम आने वाले थे
और मैं था प्रतीक्षारत |
तुम आये आखिरकार
कुछ यों चूसते अपना अंगूठा
जैसे सारे जहां का
मधुमय उत्स
उसी में छुपा हो |
तुम आये तो सोचा
लो अब बीत गयी प्रतीक्षा ,
नहीं मालूम था मुझे
यह तो महज़ शुरुआत है ,
दरअसल
हर बाप की किस्मत
एक अनंत इंतज़ार है |
एक प्रतीक्षारत पिता की मार्मिक अभिव्यक्ति......बहुत सुंदर लिखा है आपने....
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत...............
जवाब देंहटाएंगहन भाव..............
सादर.
अनु
हर बाप की किस्मत
जवाब देंहटाएंएक अनंत इंतज़ार है |..कितना सच कहा है...बड़ी अच्छी और सच्ची कविता