शुक्रवार, 24 सितंबर 2010

संवाद

कल एक फ़ोन किया
वहाँ
जहाँ जाना चाहते हैं सभी,
वहीं रहता है मेरा बेटा |

"हलो पापा"
सुनते ही कहा
आज बनाया था
तुम्हारी पसंद का खाना,
अच्छा बना था
इसलिए याद आई बहुत |

"अपनी -अपनी किस्मत है पापा "
उसने कहा
"मेरी किस्मत में नहीं है
आपके हाथ का खाना |"

मैं चुप रहा
कैसे कहता उससे
कि क्या कुछ नहीं है
मेरी किस्मत में .

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