आज सुबह
नहीं खिली
धूप |
आज के दिन
बाधित रहा
विद्युत प्रवाह |
कोहरे में घिरी
चिड़िया ने
बेमन से चुगा दाना |
जल भरा पात्र
हलके से छूकर
उड़ गयी गौरय्या |
बोगेनवेलिया के फूल
यों ही बस
डाल पर टिके रहे |
ठण्ड में सिकुड़े
रजाई में
दुबके रहे खयाल |
चाय की प्याली में
डूबा रहा
उदास सा मन |
कोशिश के बाद भी
जो करना था
नहीं हुआ |
जाने क्यों आज
माँ की शक्ल
घूमती रही आँखों में
|
बहुत सुन्दर सृजन, बधाई
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