रविवार, 10 अगस्त 2014

आज




                                                      

आज सुबह
नहीं खिली
धूप |

आज के दिन  
बाधित रहा
विद्युत प्रवाह |

कोहरे में घिरी
चिड़िया ने
बेमन से चुगा दाना |

जल भरा पात्र
हलके से छूकर
उड़ गयी गौरय्या |

बोगेनवेलिया के फूल
यों ही बस
डाल पर टिके रहे |

ठण्ड में सिकुड़े
रजाई में
दुबके रहे खयाल |

चाय की प्याली में
डूबा रहा
उदास सा मन |

कोशिश के बाद भी
जो करना था
नहीं हुआ |

जाने क्यों आज
माँ की शक्ल
घूमती रही आँखों में |

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