Meri Kavita
गुरुवार, 28 अक्तूबर 2010
विश्वविद्यालय
एक पतंग
बिना डोर के
हवा में है ,
इस खामखयाली में
कि डोर उसके हाथ है
सब
शून्य
में
चला रहें हैं हाथ ,
पतंग मुक्त है
हाथ थक गए हैं ।
1 टिप्पणी:
Omendra Ratnu
29 अक्तूबर 2010 को 9:43 pm बजे
आदि सत्य की सरल ,सशक्त अभिव्यक्ति !
जवाब दें
हटाएं
उत्तर
जवाब दें
टिप्पणी जोड़ें
ज़्यादा लोड करें...
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
आदि सत्य की सरल ,सशक्त अभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएं